मां को समर्पित राजकुमार अश्क जी की सुन्दर प्रस्तुति
याद आती है माँ की हमेशा मुझे।
उसकी बातें हैं रूलाती हमेशा मुझे।।
नींद में मेरी अक्सर ही आकरके वो,
अब भी लोरी सुनाती हैं हमेशा मुझे।
ऐसा महसूस होता है आके गले,
प्यार से वो लगाती हैं हमेशा मुझे।
राह जब भी ज़मानें में भटका हूँ मैं,
राह वो ही दिखाती हैं हमेशा मुझे।
आज भी ख़्वाब में आके लगता है ये,
वो कहानी सुनाती हैं हमेशा मुझे।
है दुआ ही मेरी माँ की जो की सदा,
हर बला से बचाती हैं हमेशा मुझे।
है नमन माँ के चरणों में शत शत मेरा,
याद माँ की रुलाती हैं हमेशा मुझे।
बह जाता है “अश्क़” इन आखों से मेरे,
तश्वीर रूलाती है बहुत तेरी माँ मुझे।
- *माँ को समर्पित*
*राजकुमार अश्क़*